Monday, December 28, 2009

betiya


घर -भर को जनत बनाती है बेटिया
अपनी तबसुम से इसे जनत बनाती है बेटिया
छलकती है अस्क बनके माँ के दर्दे से
रोते हुए भी बाबुल को हसाती है बेटिया
सुबह की सुहानी धुप सी प्यारी लागे है बेटिया
मंदिर के दिये की बाती है बेटिया
सहती है दुनिया के सारे गम
फिर भी सभी रिश्ते निभाती है बेटिया
बेटे देते है माँ -बाप को आंसू उन आसुओ को सहेजती है बेटिया
फूल सी बिखेरती है चारो और खुसबू ,फिर भी न जाने क्यू जलाई जाती है बेटिया
                                                                                                                              "itu"

Saturday, December 26, 2009

बेटिया


सुरज की तेज किरन है बेटिया ,चाँद की शीतल छाव है बेटिया


झिलमिल तारों सी झिलमिलाती झालर है ,दुनिया की सोगात है बेटिया


कोयेल की कुक है संगीत की सरगम है ,पायल की झंकार है बेटिया


सात सुरों की सरगम है, वीणा की झंकार है बेटिया


घर - आँगन की मुस्कान है ,लक्ष्मी का वरदान है बेटिया


माँ -बाप और परिवार की शान है ,इन सबो की जान है बेटिया


इंदिरा , लक्ष्मी बाई,जिजाबाई जेसी महान है हमारी बेटिया


सेना हो या और कोई क्षेत्र ,आगे बढ़ने को है तेयार है बेटिया


सुरज सी तेज किरन है बेटिया ,चाँद की शीतल छाव है बेटिया ""           "itu"

बेटिया




घर -आंगन मे चह-चहाती है बेटिया


चिडियों जेसे इधर-उधर फुदकती है बेटिया


इक आह के साथ जन्म लेती है बेटिया


इक आह देकर फिर छोड़ जाती है बेटिया


ज़माने की हर खुशी से प्यारी है बेटिया


घर महक जाता है जब मुस्कराती है बेटिया


माँ -बाप के दुख-सुख की हमदर्द है बेटिया


बहुत सपने सजाते है माँ -बाप बेटियों के लिए


डोली में बैठ जब सुसराल चली जाती है बेटिया


घर -आगन सुना कर जाती है बेटिया "" "itu"

Friday, December 25, 2009

betiya


फूलो की खुश्बू सी महकती -मुस्कराती है बेटिया


इक अहसास की तरह दिल मे बसती है बेटिया


जीवन को इक नई दिशा देती है बेटिया


कही फूलो सी नाजुक कही काटो की सेज पर पलती है बेटिया


देती है इक नए जीवन को जन्म


फिर क्यों संसार के हाथो मारी जाती है बेटिया


ओस की बूंद सी होती है बेटिया


कोई नहीं है कम एक-दुसरे से दोस्तों ,हीरा अगर है बेटा तो मोती है बेटिया

Friday, December 18, 2009

BETIYA


"बेटिया" "
"ओस की बूंदों सी होती है बेटिया ,
परिजनों के दुखो से रोती है बेटिया
रोसन करेगा बेटा , एक ही कुल को ,
दो कुलो की शान बढाती है बेटिया
कोई नही है दोस्त एक -दुसरे से कम ,
हीरा अगर है बेटा तो मोती है बेटिया
काँटों की राह पे वे ख़ुद चलती है ,
ऑरो के लिए फूल ही बोती है बेटिया
विधि का विधान है यह दुनिया की रस्म है ,
अपने प्रियजनों को छोड़ पिया के घर जाती है बेटिया"
"इतु"

Monday, December 7, 2009

betiya

"बेटिया"
बेटिया समझो तो होती है ,माँ -बाप का गुरुर ,
नही होती है ये , बेटो की तरह मगरूर
दिलो जान से वह माँ -बाप की इजत करती है ,
और निःसवार्थ अपनो के दुःख -दर्द सहन करती है
अपनो की सेवा ही यह करती जाती है ,
लेकिन बदले में कुछ नही चाहती है
जमीन पर राज करने वाली बेटिया ,
अब आसमान तक जाती है
अपने नाम का झंडा ,आसमान तक भी फहराती है इतिका राजपुरोहित "इतु "