Monday, November 1, 2010

betiya


"में बेटी बनकर आई हूँ माँ -बाप के जीवन में


बसेरा है आज कल मेरा किसी और के आँगन में ||



क्यों यह रीत भगवान ने बनायीं होगी

कहते हैं आज नहीं तो कल तू परायी होगी ,||



दे कर जनम पाल -पोसकर जिसने हमें बड़ा किया

और वक़्त आया तो उन्ही हाथों से हमें विदा किया ||



बेटिया इससे समझकर परिभाषा अपने जीवन की

बना देती है अभिलाषा एक अटूट बंधन की ||



क्यों रिश्ता हमारा इतना अजीब होता है

क्या बस यही हम बेटियों का नसीब होता है ||"

betiya


मैने बेटी बन जन्म लीया,



मोहे क्यों जन्म दीया मेरी माँ


जब तू ही अधूरी सी थी!


तो क्यों अधूरी सी एक आह को जन्म दीया,


मै कांच की एक मूरत जो पल भर मै टूट जाये,


मै साफ सा एक पन्ना जिस् पर पल मे धूल नजर आये,


क्यों ऐसे जग मै जनम दीया, मोहे क्यों जनम दीया मेरी माँ,


क्यों उंगली उठे मेरी तरफ ही, क्यों लोग ताने मुझे ही दे


मै जित्ना आगे बढ़ना चाहू क्यों लोग मुझे पिछे खीचे!


क्यों ताने मे सुनती हू माँ,मोहे क्यों जन्म दीया मेरी माँ?

Thursday, July 22, 2010


घर आँगन मे च ह -चाहती है .न प्यारी बेटिया .

चिडियों जैसे इधर - उधर उडती फिरती है .न प्यारी बेटिया .


एक आह के साथ जनम लेती है .न प्यारी बेटिया .,

एक आह देकर ही फिर छोड़ जात्ती है .न प्यारी बेटिया .


बहुत सपने सजाते है .न हर माँ -बाप बेटियों के लिए ,

दुआ करती हूँ सदा खुश रहे सबकी प्यारी बेटिया .

Thursday, July 1, 2010


"यह दुनिया की रीत सदा से चली है आई .
बेटी पराया धन , कल किसी और के घर जाई .
.मोह न लगा बाबुल आपनी बेटिया से इतना …
जाई आँगन छोड़ , और कल तुम्हे रुला कर जाई .
तना कहे के ठुठा है जिया देख जाई . .
छोड़ के तुमरे आँगन कही और घर बसाने जाई ..
हंश के विदा किया , आशीर्वाद दीया लाडली को ..
ताकि आगे ऊहर ज़िन्दगी खुसीयू से भर जाई . .!!
और मोह ना लगा बेतिया से इतना तू बाबुल . .
रघुकुल से ही यह रीत है सदा चली आई
बेटी पराया धन , कल किसी और के घर जाई .||"

माँ की आन, घर की शान,



पिता का गर्व, भाई का मान।


कोयल का गीत, सदियों की रीत।


होती हैं बेटियाँ ~~~


कलियों सी नाज़ुक, फूलों सी कोमल।


पानी सी निर्मल, पूर्वाइ सी शीतल।


होती हैं बेटियाँ ~~~


सज़ा कर हाथो पे मेहंदी,


लगा कर माथे पे बिंदियां।


बन किसी की दुल्हन,


छोङ जाती है अपना आंगन।


ये देख के बार बार सोचे मेरा मन।


अपना या पराया धन, होती हैं बेटियां

betiya


बेटिया तो परायी ये बात हर किसी ने दोहरायी
जिस माँ की लाडली उसकी आँखे भर कइयों आयी
जिस आँगन में खेली उसमें अपनी यादे छोड़े आयी

माँ ने रोते हुए कहा बेटी आज से एक नया रिश्ता ने भाने की बारी आयी
एक नया परिवार बसाना, बाबुल तेरी भी आँखे भर आयी
तूने भी यही कहा , बेटिया तो होती हे परायी |

तो हर किसी ने ये बात दोहरायी , बेटिया तो हे परायी ||

Wednesday, June 23, 2010

betiya


बेटिया

गोद में आती है
खुशियों से वो घर भर जाता है |

उसकी प्यारी मुस्कान से
घर का हर कोना चहकता है |

लाड प्यार में बड़ी होती है
पलकों पे बिठा हर नाता रखता है

कितने नाजों से पलती बेटी
मांगने से पहले सब मिलता है |

बाबुल का दिल का ये टुकड़ा
जो विदाई पे सबको रुला जाता है......

betiya


betiya

 एक मीठी   सी   मुस्कान  हैं  बेटिया.  ...


पर  यह  सच  हैं  की  मेहमान  हैं  बेटिया ....




रहमत  बरकत  साथ  लेती    हैं  यह .   ...


उसकी  रहमत  की  पहचान  हैं  बेटिया ....




उन  किताबों  से  खुशबू  ही  आये  सदा ....


जिन  किताबों  का  उन्वान   हैं  बेटिया ....




तंगहाली  मैं  भी  लैब   न  खोले  कभी ....


सब्र  की  जिंदा  पहचान  हैं  बेटिया ....




उन  घरानों  की  पहचान  बन्ने  चली ....


जिन  घरानों  से  अनजान  हैं  बेटिया ....




सारा  आलम  भी  लिश  कहेगा  यही ....


सारे  आलम  पे  अहसान  हैं  बेटिया ....

Saturday, April 10, 2010


हीन भावना से क्यूँ देखी जाती है बेटियां




क्यूँ हिंसा का शिकार बनती है बेटियां




जन्म से ही पहले ही मारी जाती है बेटियां




क्यों बेटों कि चाहत में मिटा दी जाती है बेटियां !




क्यों डरी सहमी से होती है ये बेटियां




अपने ही घर में क्यूँ पराया होती है बेटियां




घुट_घुट कर क्यूँ जीती है बेटियां




दहेज़ कि बलि क्यों चढ़ जाती है बेटियां!




भेद_भाव को भी सहती है बेटियां




चार दिवारी में क्यूँ कैद रहती है बेटियां



जीना का अधिकार खो जाती है बेटियां



क्यूँ प्यार नहीं पाती है ये बेटियां!






देश का नाम रोशन करती आ रही बेटियां




फिर भी क्यूँ नफरत में जी रही है बेटियां!

Monday, March 29, 2010

betiya


"घणी पियारी लागे है माँ-बाप ने बेटिया|

सुख -दुख में साथ देवे है बेटिया ||

कीयू याने दुख देवो , ये तो नव दुर्गा रो रूप है बेटिया |

देवी रो अससीस है, जो थारे घर जनम लियो ||

माँ रो आशीर्वाद बेटिया ||

इस्सा घणा भाग जो देवी पधारी आपरे आघने ||

धरती रो सिंगार है बेटिया||

माँ-बापू रो अभिमान है बेटिया ||"

Saturday, March 27, 2010


betiya

हर अल्फाज़ का इशारा बेटियाँ

हर खुशी का नजारा बेटियाँ

दिल में बस जाती हैं फूलों की तरह


आँखों में समाती हैं सावन के झूलों की तरह


बनाती हैं सबको अपना नहीं दिखती किसी को कोई झूठा सपना


जो कहती हैं करके वो दिखती हैं


हर ग़लत कदम पर आवाज वो उठाती हैं


फिर भी हर बात पर उन्हें ही क्यों रोका जाता है


फीर भी हर बात पर उन्हें ही क्यों टोका जाता है

Friday, March 19, 2010

betiya

बेटियाँ होती हैं ठंडी - ठंडी हवाएं,



तपते हृदय को शीतल करने वाली बेटियाँ


बेटियाँ होती हैं सदाबहार फूलो सी ,


खिली रहती हैं जीवन भर,मुस्कराती रहती है जीवन भर


रहती हैं चाहे जहाँ, महकाती हैं,सजाती हैं,माता पिता का आँगन


बेटियाँ होती हैं मरहम, गहरे से गहरे घाव को भर देती हैं,


संजीवनी स्पर्श से ,जीते हैं माता पिता,


बेटियों के संसार को सजाने की ललक लिये


बेटियाँ होती हैं, माता पिता के सुनहरे स्वप्न।


पल भर में छोड़ जाती हैं बेटियाँ ,माता पिता का आँगन


लेती हैं उनके धैर्य की परीक्षा।


असहाय माता पिता, ताकते रह जाते हैं,


और चली जाती हैं रोते हुए बेटियाँ,


छोड़ जाती हैं पीछे पल पल की स्मृतियाँ।


माँ स्मृति के पिटारे से निकालती है,


छोटी छोटी फ्रॉकें गुडेगुडिया आँखे नम हो जाती


लगाती हैं उन्हे हृदय से


पिता निहारते हैं उँगलियाँ,


जिन्हे पकड़ा कर


सिखाया था बेटियों को


टेढ़े मेढ़े पाँव रख कर चलना,


कितनी जल्दी बड़ी हो जाती हैं बेटियाँ


कितनी जल्दी चली जाती हैं बेटियाँ

Thursday, March 18, 2010

betiya

नाज़ तुम्हें था बेटे पर,



बोझ लगी थीं बेटियां।


बेटों की सब मांगें पूरीं,


तरस रही थीं बेटियां।


पर तकदीर ने पल्टा खाया,


बोझ के वर्ग में तुम्हें बिठाया।


बेटों को तुम बोझ लगे,


ढोने से कतराने लगे,


तब पलकों पर तुम्हें बिठाने,


तैयार खडी थीं बेटियां।


नाज़ तुम्हें था बेटों पर,बोझ लगीं थीं बेटियां
betiya

ओस की बूँद की तरह होती है बेटिया



प्यार का बंधन छुटे तो रोती है बेटियाँ


रोशन करेगा बेटा बस एक ही कुल को

..दो दो कुलो की लाज रखती है "बेटिया


शायद पल भर में ही



सयानी हो जाती हैं बेटियाँ,


घर के अंदर से


दहलीज़ तक कब


आज जाती हैं बेटियाँ


कभी कमसिन, कभी


लक्ष्मी-सी दिखती हैं ,बेटियाँ।


पर हर घर की


तकदीर, इक सुंदर


तस्वीर होती हैं,  बेटियाँ।


हृदय में लिए उफान,


कई प्रश्न, अनजाने


घर चल देती हैं बेटियाँ,


घर की, ईंट-ईंट पर,


दरवाज़ों की चौखट पर


सदैव दस्तक देती हैं,  बेटियाँ।


पर अफ़सोस क्यों सदैव


हम संग रहती नहीं,  ये बेटियाँ।
betiya

बेटे की जगह जन्म लेती हं बेटियां।



कोमल, सहज व सहृदय होती हैं बेटियां॥


अब बेटे से कहीं कम नहीं है बेटियां।


हर घर का सम्मान है बेटियां॥


देश दुनिया में हर जगह पहचान है बेटियां।


स्वर्णिम दिशा में उडऩे का अरमान है बेटियां॥


न रोके इन्हें कोई, न लगाएं इनपे बेडिय़ां।


क्योंकि अब देश का स्वाभिमान हैं बेटियां॥

betiya

betiya

माँ की आन , घर की शान ,



पिता का गर्व , भाई का मान ।


कोयल का गीत , सदियों की रीत ।


होती हैं बेटियाँ |


कलियों सी नाज़ुक , फूलों सी कोमल ।


पानी सी निर्मल , पूर्वाइ सी शीतल ।


होती हैं बेटियाँ |


सज़ा कर हाथो पे मेहंदी ,


लगा कर माथे पे बिंदियां।


बन किसी की दुल्हन ,


छोङ जाती है अपना आंगन ।


ये देख के बार बार सोचे मेरा मन।


अपना या पराया धन ,होती हैं बेटियां ||

Wednesday, March 17, 2010

betiya


चिड़ि यां,  सी  चहकती , महकते फूल-सी
लगती हौं बेटियां
प्यारी बहुत ही संसार   में
लगती हौं बेटियां।
सातों सुरों  में कूकती, गाती
कोयल-सी बेटिया सातों रंगों को हौं लिए
 तेज किरणों-सी बेटियां।
मां के लिए हौं सुबह  का स्वप्न,
माथे का श्रृंगार बेटियां
बाबुल के लिए जान से भी
प्यारी है, बेटियां।
हंसने से उनके हंसती हौं,
मानों दीवारें घरों की
भइया के सूने हाथ की
राखी हौं बेटियां
पूजा के जलते दीप की
बाती हौं बेटियां
ममता दिखा के सबको
रिझाती हौं बेटियां
रुकते नहीं हौं पैर
पलभर को, जमीं पर
मेहनत की साधी सुगंध
लुटाती हौं बेटियां
गर्मी में ठण्ड की  छांव-सी
लगती हौं बेटियां
सर्दी में मीठी धूप-सी
लगती हौं बेटियां
अविरल बहती  वह धार हौं
गंगा-सी बेटियां
दुनिया-जहां की आग भी
सहती हौं बेटियां
कभी बनीं राधा
कभी दुर्गा भी बन गयीं
दुश्मन के लिए बन गयीं
ये काल बेटियां

betiya


बोए जाते हैं बेटे


उग आती हैं बेटियाँ


खाद-पानी बेटों में


पर लहलहाती हैं बेटियाँ


एवरेस्ट पर ठेले जाते हैं बेटे


पर चढ़ जाती हैं बेटियाँ


रुलाते हैं बेटे


और रोती हैं बेटियाँ


कई तरह से गिराते हैं बेटे


पर सम्भाल लेती हैं बेटियाँ
betiya

मिट्टी की खुशबू-सी होती हैं बेटियां,

घर की  लाज   होती हैं बेटियां, 

बचपन हैं बेटियां, वरदान  हैं बेटियां,

सत्यम्-शिवम् सुंदरम्-सी होती हैं बेटियां,

सूरज-सी खिलखिलाती होती हैं बेटियां,

चंदा की मुस्कुराहट-सी होती हैं बेटियां,

दुर्गा-सी बेटियां, कभी गंगा-सी बेटियां,

हर महिषासुर का वध करने को तैयार बेटियां,

मायके से ससुराल का सफर तय करती हैं बेटियां,

कल्पना में बेटियां, कभी वास्तविकता में बेटियां,


फिर क्यों जला देते हैं ससुराल में बेटियां?
फिर क्यों ना बांटे खुशियां जब होती हैं बेटियां?

एक नहीं दो वंश चलाती हैं बेटियां,
फिर गर्भ में क्यों मार दी जाती हैं बेटियां?
betiya

ना जाने कहां से आ जाती हैं ये बेटियां
कुछ ना हो फिर भी खिलखिलाती हैं बेटियां
ना प्यार की गर्मी और ना चाहत की शीतलता हैं बेटियां
फिर भी जीती जाती हैं बेटियां
अभावों और दबावों के बीच भी ,जीती जाती हैं बेटियां
दिन के दोगुने वेग से बढ़ती जाती है बेटियां
भीड़ भरे मेले में हाथ छूट जाए,
फिर भी किसी तरह घर पहुंच जाती हैं बेटियां
खुद को जलाकर भी ,घरों को रोशन करती जाती हैं बेटियां
सीमाओं के आरपार खुद को फैलाकर ,पुल बन जाती हैं बेटियां
शायद इसकी सजा पाते हुए ,
कोख में ही क्यों   मारी जाती हैं बेटियां ... ।

Wednesday, January 20, 2010

betiya


सुख को जब बाँट भी लेते , दुख जाने क्यू बाँट न पाते ||
अंतर -मन के एक कोने मे , टीस कभी रह जाती है ||
न मै जिसे बता पाता हु , न जुबान कह पाती है|
होते सब दुख दूर तभी, जब माथे को सहेलाती बिटिया ||
नया जोश भर जाता मन मे , जब धीरे मुस्काती बिटिया||
लोग मुर्ख जो मासूमों से , भेदभाव कोई करते है||
जिम्मेदारी बचने को , एक बहाना रचते है||
बेटा - बेटी एक समान ,हमने पाया नारा है|
घर की बगिया में जो महके , सुंदर कोमल फूल है बिटिया ||
मान मेरा , सम्मान बिटिया ,अब मेरी पहचान है बिटिया ||
न मानों तो आकर देखो, माँ बाबा की जान है बिटिया |
मेरी बिटिया सुंदर बिटिया , मेरी बिटिया प्यारी बिटिया ||"
"इतु"राजपुरोहित

betiya

"किसी  पेड की इक डाली को ,नवजीवन  का  सुख देने |
नव  प्रभात  की  किरणों  को ले , खुशियों  से  आँचल भर  देने ||
किसी दूर परियो के  गढ़  से ,नव कोपल  बन आई  बिटिया |
सबके  मन  को भायी बिटिया , अच्छी  प्यारी  सुन्दर  बिटिया ||
आँगन मे  गूंजे  किलकारी  ,  जैसे  सात सुरों  का संगम |
रोना  भी उसका  मन भाये, पर हो जाती  है  आँखे  नम  ||
इतराना  इठलाना   उसको ,मन को  मेरे भाता  है |
हर पीड़ा को भूल  मेरा मन , नए  तराने  गाता है ||
जीवन के  बेसुरे  ताल  मे , राग  भेरवी  लायी  बिटिया  |
सप्त  सुरों  का  लिए  सहारा ,  गीत नया  कोई  गायी बिटिया ||
बस्ते  का वह बोझ  उठा  , काँधे पर  पढ़ने  जाती है |
शाम  पहुचती जब  घर  , हमको  इंतजार  मे पाती है ||
धीरे -धीरे  तुतलाकर  , वह  बात  सभी  बतलाती  है |
राम-रहीम  गुरु  ईसा के , रिश्ते  वह  समझाती  है ||
                                                          
"itu" rajpurohit                      

Friday, January 8, 2010

betiya


मुझसे  ही तो घर  खिलखिलाता   है ,
   फिर क्यों  मुझे मार दिया  जाता  है ....?
   ये दुनिया नहीं  चल  सकती  मुझ बिन
   फिर क्यों  मुझे दुनिया मे आने  से
   रोक  दिया जाता  है ...?
   जेसे  बेटा  घर का  चिराग  है ,
   मै भी  तो  उसी  घर की रोशनी  हू |
   लड़का - लड़की  मे भेद  नहीं ,
   ये  क्यों  नहीं समझा  जाता  है |     "itu"