Thursday, March 29, 2012

बेटियाँ "

बेटी

ह्रदय का अंग होती

उसकी पीड़ा सही

ना जाती

व्यथा उसकी

निरंतर रुलाती

ह्रदय को तडपाती

एक पल भी चैन नहीं

लेने देती

मन सदा

उसकी कुशल क्षेम चाहता

उसके प्यार में डूबा

रहता

बेटी का जन्म

पिता का सबसे

महत्वपूर्ण सृजन होता

प्रेम निश्छल,निस्वार्थ होता

उसकी खुशी ह्रदय की

सबसे बड़ी खुशी होती

बेटी ,पिता के जीवन में

खिलती धूप सी होती

उसकी कमी

अन्धकार से कम

ना होती

बेटी पिता को

परमात्मा की भेंट होती

उसके नाम से ही आँखें

नम होती


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