Thursday, March 29, 2012

बेटियाँ

बेटियाँ


प्यार का मीठा एहसास हैं बेटियाँ

घर के ऑंगन का विश्वास हैं बेटियाँ

वक़्त भी थामकर जिनका ऑंचल चले

ढलते जीवन की हर श्वास हैं बेटियाँ

जिनकी झोली है खाली वही जानते

पतझरों में भी मधुमास हैं बेटियाँ

रेत-सी ज़िन्दगी में दिलों को छुए

मखमली नर्म-सी घास हैं बेटियाँ

तुम न समझो इन्हें दर्द का फलसफा

कृष्ण- -राधा का महारास हैं बेटियाँ

उनकी पलकों के ऑंचल में ख़ुशियाँ बहुत

जिनके दिल के बहुत पास हैं बेटियाँ

गोद खेली, वो नाज़ों पली, फिर चली

राम-सीता का वनवास हैं बेटियाँ

जब विदा हो गई, हर नज़र कह गई

ज़िन्दगी भर की इक प्यास हैं बेटियाँ

No comments:

Post a Comment