Monday, June 25, 2012

बोलो न माँ …………..बेटिया क्यों बोझ होती है .?
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क़त्ल करना है तो सबका करो
मुझ अकेली को मारने से क्या होगा
अगर मिटाना है मेरी हस्ती को
तो सबको मिटाओ …………..
मुझ अकेली को मिटाने से क्या होगा …………..

हूँ गुनहगार अगर मैं दादी
तो दोषी तो आप भी है
सजा देनी है तो खुद को भी दो
मुझ अकेली को देने से क्या होगा …………………

किया होता अगर ऐसा ही
दादी के पापा ने दादी के साथ
तो क्या आज आप होते पापा
जरा सोच कर तो देखिये …………………
मेरे इस नन्हे से जिस्म के टुकडो को
जो रंगे हुए है खून से ……………..
एक छोटी सी सुई चुभ जाती है जब उँगली में
तो कितना दर्द होता है ……..
जानते है न पापा आप ……………………..
फिर कैसे …………….फिर कैसे पापा
कैसे आपने कर दिया अपने ही अंश को
उन सब के हवाले काटने के लिए ……………
एक नन्ही सी जान को मरने के लिए
अगर बोझ ही उतरना है …………….
तो दादी को, माँ को, बुआ को भी मारो
मुझ अकेली को मारने से क्या होगा
क़त्ल करना है………………………………..
कितनी आसानी से मान गई आप भी माँ
क्यों —- क्या मैं कोई भी नही थी आपकी
या मज़बूरी थी आपकी भी ……….
भगवान की तरह………………
भगवान जिन्हें मालूम है अपने इंसानों की फितरत
जो जानते है —– इन लालची इंसानों की हैवानियत को
लेकिन फिर भी भेज देते है हमे इस दुनिया में
जिन्दा क़त्ल होने के लिए …………..
बिन जन्मे ही मार दिए जाने के लिए

क्या आप भी ऐसे ही मजबूर थी माँ
या आप भी डर गयी थी दादी और पापा की तरह
कि कही मैं आप पर बोझ न बन जाऊँ
अपने बेटे का पेट तो भर सकते है आप
लेकिन क्या मुझे दो वक़्त की रोटी नही दे पाते
क्या मैं इतना खा लेती माँ …………………….
कि आप लोगो के लिए मुझे पालना मुश्किल हो जाता
क्या मैं सच में बोझ बन जाती माँ
आपके लिए भी ………………
क्या इसीलिए आप सबने मुझे जन्म लेने से पहले ही मार दिया
क्या सच में ही बेटियाँ बोझ होती है माँ
बोलो न माँ ……….क्यों बेटियाँ बोझ होती है !

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