Sunday, December 1, 2013

bitiya

देवी का रूप देवो का मान है बेटिया
घर को जो रोशन करे वो चिराग होती बेटिया
माँ की छाव पिता का अभिमान होती बेटिया
मत मारो इनको कोख में...
बेटो को जो जन्म दे वो माँ होती बेटिया ।।

कभी लक्ष्मी बाई कभी हाडा रानी होती बेटिया
कभी कल्पना तो कभी सुनीता है बेटिया
अपने लाल को जो करे वतन पे कुर्बान...
ऐसी वीरांगना पन्नाधाय होती बेटिया ।।

जमीं से लेकर नभ तक छाई हुई है बेटिया
नवरात्री के नव व्रत होती बेटिया
मत करो अभिमान सिर्फ बेटो पर....
बेटा गर भाग्य है तो सौभाग्य होती बेटिया ।।

सीता, सावित्री, सत्यभामा होती बेटिया
कभी राधा तो कभी मीरा बाई है बेटिया
बेटा तो एक कुल का चिराग है....
दो दो कुल की लाज होती बेटिया ।।
*****SAVE GIRLS*****

bitiya

एक औरत गर्भ से थी पति को जब पता लगा की
कोख में बेटी हैं तो वो उसका गर्भपात करवाना चाहते
हैं दुःखी होकर पत्नी अपने पति से क्या कहती हैं :-
सुनो, ना मारो इस नन्ही कलि को,
वो खूब सारा प्यार हम पर लुटायेगी,
जितने भी टूटे हैं सपने, फिर से वो सब सजाएगी..
सुनो, ना मारो इस नन्ही कलि को,
जब जब घर आओगे तुम्हे खूब हंसाएगी,
तुम प्यार ना करना बेशक उसको, वो अपना प्यार लुटाएगी..
सुंनो, ना मारो इस नन्ही कलि को,
हर काम की चिंता एक पल में भगाएगी,
किस्मत को दोष ना दो, वो अपना घर आंगन महकाएगी..
ये सब सुन पति अपनी पत्नी को कहता हैं :-
सुनो में भी नही चाहता मारना इस नन्ही कलि को,
तुम क्या जानो, प्यार नहीं हैं क्या मुझको अपनी परी से,
पर डरता हूँ समाज में हो रही रोज रोज की दरिंदगी से..
क्या फिर खुद वो इन सबसे अपनी लाज बचा पाएगी,
क्यूँ ना मारू में इस कलि को, वो बहार नोची जाएगी..
में प्यार इसे खूब दूंगा, पर बहार किस किस से बचाऊंगा,
जब उठेगी हर तरफ से नजरें, तो रोक खुद को ना पाउँगा..
क्या तू अपनी नन्ही परी को, इस दौर में लाना चाहोगी,
जब तड़फेगी वो नजरो के आगे, क्या वो सब सह पाओगी,
क्यों ना मारू में अपनी नन्ही परी को,
क्या बीती होगी उनपे, जिन्हें मिला हैं ऐसा नजराना,
क्या तू भी अपनी परी को ऐसी मौत दिलाना चाहोगी..
ये सुनकर गर्भ से आवाज आती हैं सुनो माँ पापा
में आपकी बेटी मेरी भी सुनो :-
पापा सुनो ना, साथ देना आप मेरा,
मजबूत बनाना मेरे हौसले को,
घर लक्ष्मी हैं आपकी बेटी, वक्त पड़ने पे में काली भी बन जाउंगी,
पापा सुनो, ना मारो अपनी नन्ही कलि को,
उड़ान देना मेरे हर वजूद को,
में भी कल्पना चावला की तरह, ऊँची उड़ान भर जाउंगी..
पापा सुनो, ना मारो अपनी नन्ही कलि को,
आप बन जाना मेरी छत्र छाया,
में झाँसी की रानी की तरह खुद की गैरो से लाज बचाउंगी..
पति (पिता) ये सुन कर मौन हो गया और उसने अपने फैसले पे
शर्मिंदगी महसूस करने लगा और कहता हैं अपनी बेटी से :-
में अब कैसे तुझसे नजरे मिलाऊंगा,
चल पड़ा था तुम्हारा गला दबाने,
अब कैसे खुद को तुम्हारे सामने लाऊंगा,
मुझे माफ़ करना ऐ मेरी बेटी,
तुझे इस दुनियां में सम्मान से लाऊंगा..
वहशी हैं ये दुनिया तो क्या हुआ,
तुझे बहादुर बिटियाँ बनाऊंगा..
मेरी इस गलती की मुझे हैं शर्म,
घर घर जाके सबका भ्रम मिटाऊंगा
बेटियां बोझ नहीं होती..
अब सारे समाज में अलख जगाऊंगा_

Monday, October 7, 2013

बिटिया

अपनी बेटी भी प्यारी है और परम्परा भी!

बिटिया जो सबसे प्यारी है, जग में सबसे वह न्यारी है!

बचपन में न वह रोती थी, खा पीकर के जो सोती थी.

बाबाजी सामने रहते थे, बिटिया को चूमा करते थे.

मूंछों को देख वो हंसती थी, बाबा की प्यारी पोती थी!

रोती भी नहीं कभी खुलकर, ‘गूंगी होगी आगे चलकर’ !

ये ‘प्यार के बोल’ निकलते थे, बाबाजी हंसकर कहते थे.

बिटिया थोड़ी अब बड़ी हो गयी, रोऊँ क्यों, अब तो खड़ी हो गयी!

पापा ने सब कुछ झेला है, उनका मन बहुत अकेला है.

रोते वे नहीं विपदाओं से, होते खुश हर आपदाओं से.

जीवन ने उन्हें सिखाया है, अग्नि ने उन्हें तपाया है

सोना तपने से निखरता है, मानव मन तभी सुधरता है!

जो कुछ वे मुझे सिखाते हैं, अपना अनुभव बतलाते हैं.

बेटी तू रोना कभी नहीं, आपा तू खोना कभी नहीं.

वो’ जो सबका दाता है, सबका ही ‘भाग्य-विधाता’ है.

सुनते है ‘वे’ हम सबकी ही, चाहे तुम कहो या कहो नहीं.

सबकी भलाई ‘वे’ करते हैं, भक्तों पर ही ‘वे’ मरते हैं.

बिटिया जैसी तू प्यारी है, तू भी सबका हितकारी है.

‘वो’ दूर देश से आएगा, घोड़े पर तुझे बिठाएगा.

उड़ जायेगा ‘वो’ बन के हवा, पर सदा साथ हो मेरी दुआ.

न कभी तुझे वो रुलाएगा, बातों से सदा हंसायेगा.............

Wednesday, October 2, 2013

बेटिया

कितना कुछ सह जाती है बेटिया
अक्सर चुप रह जाती है बेटिया !!

कहाँ तक हिफाजत रखे अपनी -
जब घर में ही बेआबरू हो जाती है बेटिया!

अक्सर चाह कर भी ,नहीं कर पाती कुछ -
अरमानो का गला घौट रह जाती है बेटिया !!

बदल लेती है ,बक्त के साथ खुद को-
हर हाल ढल - जाती है बेटिया !!

क्यों इनका इतना खौप खाते है लोग-
जो कौख में क़त्ल कर दी जाती है बेटिया !!

हरेक कदम पर चुनौती है इनके -
मेहनत से आगे बड जाती है बेटिया !!

बेटी किसी की बहन कभी ,प्रेमिका भी होती
रिश्तो के कितने रंगों में रंग जाती है बेटिया !!


कितना कुछ सह जाती है बेटिया
अक्सर चुप रह जाती है बेटिया !!

Tuesday, October 1, 2013

bitiya

"मेरी बेटीँ"तेरे कदमोँ की आहट,तेरी पायल की छन-छन,

जब आँगन मेँ तू दौडे,याद आये मेरा बचपन,

मेरी बेटी हैँ तू ,हैँ मेरा दर्पण,मेरी छवि हैँ तुझमेँ,

मैँ नजर आती हूँ तुझमेँ,मेरा कोई बेटा ना हैँ,

तू ही हैँ मेरा बेटा,तू ही हैँ 'ज्योति' ,

जब से जीवन मेँ तुम आयीँ,खुशियो से भर गया हैँ जीवन,

हमेँ गर्व हैँ स्वयं पर,हमनेँ जन्मी हैँ बेटीं,

पिता का पुत्र हैँ तू ,तू ही हैँ मेरी बेटी||"

Friday, September 27, 2013

bitiya

"त्याग की सूरत है बेटी
ममता की मूरत है बेटी||
सस्कारों की जान है बेटी
हर घर की तो शान है बेटी||
खुशियों का संसार है बेटी
प्रेम का आधार है बेटी||
शीतल सी एक हवा है बेटी
सब रोगों की दवा है बेटी||
ममता का सम्मान है बेटी
मात-पिता का मान है बेटी||
आँगन की तुलसी है बेटी
पूजा की कलसी है बेटी||
सृष्टि है, शक्ति है बेटी
दृष्टि है, भक्ति है बेटी
श्रद्धा है, विश्वास है बेटी||"

Wednesday, September 25, 2013

bitiya

"आ गयी घर में एक नन्ही सी कली,
जिसकी मुस्कान की खुशियाँ इस दिल में हैं पली,
वो निभाएगी दायित्व और सर फख्र से ऊँचा होगा,
जिस अरमान को उसके आगमन पे सींचा होगा,
उनके फलीभूत होने पर गर्व की अनुभूति होगी,
उसको हर वर्ग हर धर्म से सहानुभूति होगी
उसके दो शब्द मन में मिस्री घोल देते हैं,
कानों में जैसे संजीवनी डोल देते हैं.
कहती हैं निभाती हैं मर्यादा की रस्मों को,
परिवार के समाज के दायित्व को सपनो को,
हर कष्ट में माँ बाप के वो दौड़ के आती हैं,
अपनी सेवा से वो बेटों को पीछे कर जाती हैं,
इनको पढाओ इनको सिखाओ कि मानवता क्या है,
देश और समाज में इनका कर्तव्य सिर्फ सेवा है ...||"